Ch -snake
गर्मी की एक दोपहर को एक साँप कवि की पानी की नाँद पर अपनी प्यास बुझाने आया कवि स्वयं नांद पर अपने लिए पानी भरने गया था। उसने सांप की प्रतीक्षा की सांप को सेवा उपयोग का पहला हक था क्योंकि वह नाद पर कवि से पहले आया था।
Snake ने अपने गले को पानी की trough पर टिकाया और अपने ढीले लंबे शरीर में पानी को चूसने लगा। पानी पीने के बाद उसने अपने शरीर को ऐसे उठाया जैसे कि दूसरे पशु किया करते हैं। उसने ठीक ऐसे ही किया जैसे कि और पशु करते हैं फिर उसने कवि की तरफ देखा उसने अपनी कांटेदार जीभ चमकाए एक क्षण के लिए सोचा और कुछ और पानी पीने के लिए झुक गया।
कवि की सांसारिक शिक्षा ने उसे समझाया कि उसे ऐसे जहरीले सांप को मार देना चाहिए क्योंकि उसका रंग सुनहरा था उसे अवश्य मार देना चाहिए और यदि वह बहादुर आदमी है तो उसे एक छड़ी लेकर तुरंत उसको मार देना चाहिए। कवि को स्वाभाविक रूप से सांप पसंद आ गया था। वह उसकी मौजूदगी से मोहित हो गया वह उसे एक मेहमान की तरह मानने लगा था वह अपने आप को सम्मानित अनुभव कर रहा था क्योंकि उसे उस सांप का मेहमान नवाजी करने का अवसर मिला था। सांप ने भी कवि की मेहमान नवाजी स्वीकार कर ली थी।
कवि ने स्वयं से प्रश्न किया कि क्या वह कायर है वह snake को क्यों नहीं मार सकता उसे बहुत हैरानी हुई कि कहीं उसकी सांप से बात करने की इच्छा उसकी विकृत मनोवृति को तो नहीं दर्शाती थी।
कवि ने स्वीकारा क़ि वह सांप से डर गया था।यह सांप के प्रति उसका डर ही था जिसने उसे मारने से रोक लिया।इसमें कोई भी संदेह नहीं था कि वह डरता था लेकिन वह उसकी वहां मौजूदगी से सम्मानित भी था। वह पृथ्वी की तली से उसकी मेहमानबाजी तलाशने आया था।
सांप ने अपनी प्यास बुझाई।अपनी संतुष्टी से पानी पीकर उसने अपना सिर ऐसे हिलाया जैसे वह स्वपन ले रहा हो।उसने एक देव की तरह चारों ओर देखा और फिर धीरे से वह पानी की नांद से दूर जाने के लिए आगे बडा।
वापस जमीन में जाने के लिए सांप ने अपना सिर सुराख़ में डाला।कवि को,सांप का वापस अपने काले बिल में चला जाना पसंद नहीं था।उसने इस विचार का विरोध किया।उसने अपना मटका नीचे रख दिया,एक लकड़ी उठायी और उसे सांप पर फेंक दिया।उसे चोट नहीं लगी लेकिन वह उग्र रूप से बल खाता हुआ अचानक ही दीवार के अंदर सुराख़ में गायब हो गया।
कवि ने अपनी अशोभनीय और नीच हरकत पर तुरंत अफसोस किया। उसने सांप पर लकड़ी फेंकने पर अफसोस जाहिर किया और अपनी शिक्षा और सभ्यता के विचारों को कोसा। उन्होंने उसके दिमाग और नैतिकता की संरचना की थी उन्होंने उसे सांप को मारने के लिए उकसाया था।
कवि ने स्वयं को कॉलरिज की कविता में बूढ़े नाभिक की तरह अनुभव किया बूढ़े नाविक ने निर्दोष और शुभ Albatross पक्षी को गुस्से के दौरे में मार दिया था। कवि ने यह सोचा था कि सांप वापस आ जाए और वह अपने देश का राजा था वह चाहता था कि उसने निर्वासित राजा को ताजपोशी करनी चाहिए थी उसे अफसोस हुआ कि जीवन के एक स्वामी को जानने और समझने का एक मौका उसने खो दिया था। कवि अपराध ग्रस्त था उसने सांप पर लकड़ी फेंकी थी जो उसकी मेहमान नवाजी की तलाश में आया था उसे इस बच्चे अशोभनीय और नीच हरकत की पूर्ति करनी थी उसे उस को उचित सम्मान और इज्जत देनी थी अगर वह फिर कभी वापस आएगा।
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