Poetry The Ancient Mariner in hindi part 2

The Ancient Mariner
Part-2

नाविक और उसके दोस्त कभी आपस में बात करते थे जब होने समुद्र की शांति भंग करनी होती थी उस समय सूर्य तांबे के रंग जैसा लाल हो रहा था। उनका जहाज ऐसा लगता था मानो पेंट किया हो मैं पेंट किए हुए समुद्र में खड़ा हुआ हो। हर तरफ पानी पानी था और जहाज के सारे फट्टे सिकुड़ गए थे पानी-पानी सारी  और था किंतु पीने का एक बूंद भी पानी नहीं था। उस समय सारा का सारा गहरा समुद्र सड़ गया था। नाविक ने सोचा यीशु मसीह से कहा कि क्या ऐसा बुरा समय हमारे साथ घटेगा हमने कभी सोचा भी नहीं था।

कीचड़ में रहने वाले कीड़े उस कीचड़ से भरे समुद्र में रेंग रहे थे आगे पीछे भिन्न-भिन्न नृत्य मुद्राओं में मौत रूपी आग रात भर नाचते रही पानी हरे नीले और सफेद रंगों में इस प्रकार जलने लगा जैसे एक डायन तेल के दीए जलाया करती है।

नाविकों को सपने में विश्वास था उन्हें ऐसा लग रहा था कि कोई प्रेत आत्मा उनको सता रही थी और यह किसी और की नहीं बल्कि पक्षी की आत्मा थी जो 9 कदम गहराई से उनका पीछा कर रही थी। बेधुंद और बर्फीले प्रदेश से आती हुई उनका पीछा कर रही थी हर नाविक की जुबान बिल्कुल सूख चुकी थी उनके गले कोयले की धुंध से अवरुद्ध हो गए हो ऐसा लग रहा था और वह लोग बोल नहीं पा रहे थे। फिर बहुत खराब दिन आया उन सभी नाविकों ने मिलकर मुझे वृद्ध और युवाओं को कितनी बुरी नजर इस एंकर ने पढ़ी मेरे गले के चारों ओर पवित्र क्रॉस की जगह पर मरे हुए Albatross पक्षी को टांग दिया गया।

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