Chapter 2 Lost spring
लेखिका को प्रतिदिन साहेब से भेंट होती है बरसों पहले साहिब बांग्लादेश में अपना घर छोड़कर आ गया था वह पड़ोस में कूड़े के ढेरों से सोना खंगालने का प्रयास कर रहा होता है लेखिका साहिब से पूछती है कि वह ऐसा क्यों करता है साहिब बड़बड़ाता है कि उसके पास करने को कुछ नहीं है उसके पड़ोस में कोई विद्यालय नहीं है वह निर्धन है तथा नंगे पैर काम करता है। साहिब जैसे अन्य 10000 जूते के बिना कूड़े के ढेर में से कव्वाल उठाने वाले हैं। यह लोग दिल्ली के बाहरी किनारे पर सीमापुरी में रहते हैं मिट्टी के घरौंदों में जिन पर तीन या त्रिपाल की छत है। किंतु वे मल निकास गंदे पानी की नालियों तथा पेयजल से वंचित है यह अनाधिकृत रूप से भूमि पर कब्जा करने वाले वह बांग्लादेशी हैं जो 1971 में यहां आए थे। वे पिछले 30 वर्षों से बिना किसी पहचान पत्र या आज्ञापत्र के रह रहे हैं। भी मतदान के पात्र हैं राशन कार्ड की सहायता से उन्हें अनाज मिल जाता है जीवित रहने के लिए भोजन पहचान पत्र से कहीं अधिक आवश्यक है।
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Dust of snow
Nice but it's not a full Story explaination..
ReplyDeleteIts under construction
DeleteIt's not full story
ReplyDeleteIt is not a full explanation
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ReplyDeleteLeave a full story
ReplyDeleteHii
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