भारत का इतिहास

भारत का इतिहास

प्राचीन भारत

प्राक इतिहास


जिसका लिखित साक्ष्य नहीं होता


पुरा पाषाण काल
शिकार और खाद्य संग्रह


मध्य पाषाण काल
माइक्रोलिथ


नव पाषाण काल

आग तथा पहिये


ताम्र पाषाण काल

ताँबे के हथियार व औजार

मनुष्य ने सर्व प्रथम पालतू बनाया

कुत्ते को


मनुष्य द्वारा बनाया गया प्रथम औजार

कुल्हाड़ी

मनुष्य द्वारा प्रयोग की जाने वाली प्रथम धातु

तांबा

सिंधु घाटी सभ्यता

उत्खनित करने वाले व्यक्ति का नाम
दयाराम साहनी
इसको ये भी कहा जाता है -

कांस्य युगीन सभ्यता



समानतया  सिंधु सभ्यता में बस्ती दो भागों में विभाजित एवं किले  बंद थी नगरों का विकास चेस बोर्ड पैटर्न पर किया गया था| नगरों में सड़के व मकान विधिवत बनाए गए थे |मकान पक्की ईंटों के बने होते थे |द्वार मार्ग तथा खिड़कियां मुख्य मार्ग के स्थान पर गलियों में खुलती थीं |लोथल इसका अपवाद था घरों में सामान्यतया शौच  का अलग स्थान  होता था  तथा गंदे पानी की निकासी हेतु नालियों की व्यवस्था थी|

 सामाजिक जीवन
अधिक संख्या में स्त्री मूर्तियों की प्राप्ति के आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि सेंधव समाज मातृ सत्तात्मक था |समाज में खुदाई के आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि विद्वान पुरोहित व्यापारी तथा श्रमिक के रूप में विभाजित था सोने चांदी हाथी दांत आवे एवं शिल्प आदि से निर्मित आभूषणों का प्रचलन था जिन्हें स्त्री और पुरुषों के समान

 धार्मिक जीवन 
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य धर्म प्रकृति पूजा पर आधारित था मातृ देवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी इसके अतिरिक्त पशुपतिनाथ लिंग योनि वृक्षों व पशुओं की पूजा भी की जाती थी लोग भूत-प्रेत अंधविश्वास है जादू टोना पर भी विश्वास करते थे पशुओं में कुंवर वाला सांड विशेष रूप से पूछने था स्वास्थ्य चिन्ह संभवत इसी सभ्यता की देन है मृतकों के संस्कारों में पूर्ण समाधि आशिक तुम्हारी और जाकर में शामिल थे हड़प्पा स्थल में मंदिरों के साथ से नहीं मिले हैं

 आर्थिक जीवन
मुख्य व्यवसाय कृषि था  जो कपास चावल मटर एवं फल की खेती की जाती थी हड़प्पा इस तरह से अन्ना गार की प्राप्ति सेंधव क्षेत्र की उर्वरता एवं कृषि अधिशेष को प्रदर्शित करती है क्योंकि कपास का उत्पादन सर्वप्रथम सिंध क्षेत्र में ही हुआ है इसलिए यूनानीयों ने इसे सेंड कहा जो सिंधु शब्द से निकला है गाय भैंस बैल बकरी कुत्ता भी पशुपालन आदित्य सुरकोटड़ा नामक स्थान से घोड़े के अवशेष मिले हैं| यदि हड़प्पा सभ्यता के उद्योगों में स्थान था | लेखन शैली हड़प्पा सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक थी जिसे अब तक नहीं पढ़ा जा सका है व्यापारियों के अधिकांश अभिलेख संक्षिप्त हैं लिखावट के साक्ष्य मुताबिक 1000 आभूषण आदि पर मिले हैं यह लिपि प्रथम पंक्ति में दाएं से बाएं तथा द्वितीय पंक्ति में बाएं से दाएं लिखी जाती थी |
  




No comments:

Post a Comment

English Grammar © 2015-2016. All Rights Reserved | Powered by-Mrs. Priyanka Sharma Tiwari

Designed by-Mr. Rahul Tiwari